सिंघाड़े के 33 चमत्कारी फायदे

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सिंघाड़े के 33 चमत्कारी फायदे | 33 Miraculous benefits of water chestnut

सिंघाडे का वैज्ञानिक नाम Trapa Bispinosa/Natans भी कहा जाता है। यह त्रिकोने आकार का फल होता है।
शरीर को मैगनीज तत्व की भी जरूरत होती है. आप चाहे जितने टानिक पी लीजिये, ताकत की दवाएं खा लीजिये लेकिन जब तक शरीर में इन तत्वों को पूर्ण रूप से पचाने की क्षमता नहीं होगी ,दवाए कोई असर नहीं दिखाएंगी. अकेला सिघाड़ा एक ऐसा फल है जो शरीर में मैगनीज एब्जार्ब करने की क्षमता बढ़ा देता है. और बुढापे में होने वाली अधिकाश बीमारियाँ सिर्फ मैगनीज की कमी के कारण होती हैं।
जिन महिलाओ का गर्भकाल कभी पूरा न होता हो या गर्भ के दौरान गर्भ गिरने का डर लगा रहता हो उन्हें खूब ज्यादा सिघाड़े खाने चाहिए. ये भ्रूण को तो मजबूती देता ही है। गर्भवती महिला की भी रक्षा करता है. ये पुरुषों के लिए शुक्रवर्धक औषधि का काम करता है।
सिघाड़े में टैनिन, सिट्रिक एसिड, एमिलोज, एमिलोपैक्तीं, कर्बोहाईड्रेट, बीटा-एमिलेज, प्रोटीन, फैट, निकोटेनिक एसिड, फास्फोराइलेज, रीबोफ्लेविन, थायमाइन, विटामिन्स-ए, सी तथा मैगनीज आदि तत्व मौजूद हैं.
यह जल में पैदा होने वाला फल है, तिकोने पत्ते और सफ़ेद फूलों वाले इस पौधे में फल भी तिकोने ही लगते हैं. छोटे छोटे ताल-तलैयों में आपको इस मौसम में भी इसके पत्ते पानी में फैले हुए मिल जायेंगे।

सिंघाड़े के 33 चमत्कारी फायदे | 33 Miraculous benefits of water chestnut

1. एक या दो महीने तक ज्यादा से ज्यादा सिंघाड़े के सेवन से मासिक धर्म सामान्य हो जाता है।
2. सिंघाड़े के तने का रस निकाल कर एक-एक बूंद आँख में डालने से किसी भी प्रकार की आँखों की बीमारी दूर हो जाती है।
3. जिस व्यक्ति को ज़रा सी खरोंच लग जाए और खून बहुत ज्यादा निकलता हो उसे तो खूब सिंघाड़े खाने चाहिए ताकि उसकी ये बीमारी दूर हो जाए. सिंघाड़े में रक्त स्तंभक का गुण भी पाया जाता है।
4. गर्भवती महिलाओं को दूध के साथ सिंघाड़े खाना चाहिए, गर्भ के सातवें महीने में तो अनिवार्य रूप से इसका प्रयोग करना चाहिए।
5. पेशाब में रुकावट महसूस हो रही है तो सिंघाड़े का काढा बनाकर दिन में दो बार ले लीजिये।
6. सिंघाड़े ल्यूकोरिया, दस्त, खून में खराबी जैसी बीमारियों को भी ठीक करता है।
7. जो लोग अस्थमा के रोगी हैं उनके लिए सिंघाड़ा वरदान से कम नहीं है। अस्थमा के रोगियों को 1 चम्मच सिंघाड़े के आटे को ठंडे पानी में मिलाकर सेवन करना चाहिए। एैसा नियमित करने से अस्थमा रोग में लाभ मिलता है।
8. बवासीर के रोग में सिंघाड़े के सेवन से लाभ मिलता है। यदि सूखे या खूनी बवासीर हो तो आप नियमित सिंघाड़े का सेवन करें। जल्द ही बवासीर में कमी आयेगी और रक्त आना बंद हो जाएगा।
9. वे महिलाएं जिनका गर्भाशय कमजोर हो वे सिंघाड़े का या सिंघाडे़ का हलवे का सेवन नियमित करती रहें। निश्चित लाभ मिलेगा।
10. सिंघाड़े की बेल को पीसकर उसका पेस्ट, शरीर में जलन वाले स्थान पर लगाने से जलन कम हो जाती है। और लाभ मिलता है।
11. यदि मांसपेशियां कमजोर हैं या शरीर में दुर्बलता हो तो आप नियमित सिंघाड़े का सेवन करें एैसा करने से शरीर की दुर्बलता और कमजोरी दूर होती है।
12. जिन महिलाओं को मूत्र संबंधी रोग है वें सिंघाड़े का आटा ठंडे पानी में लें।
13. सिंघाड़ा पित्त और कफ को खत्म करता है। इसलिए सिंघाड़े का नियमित सेवन करना चाहिए।
14. गले से सबंधी बीमारियों के लिए सिंघाड़ा बहुत ही लाभदायक है। गला खराब होने पर या गला बैठने पर आप सिंघाड़े के आटे में दूध मिलाकर पीयें इससे जल्दी ही लाभ मिलेगा। गले में टांसिल होने पर सिंघाड़ा का सेवन करना न भूलें।
15. सिंघाडे़ में आयोडीन की प्रर्याप्त मात्रा होने की वजह से यह घेघां रोग में फायदा करता है।
16. आखों की रोशनी को बढ़ाने में भी सिंघाडा फायदा करता है क्योंकि इसमें विटामिन ए सही मात्रा में पाया जाता है।
17. नाक से नकसीर यानी खून बहने पर सिंघाड़े के सेवन से फायदा होता है। यह नाक से बहने वाले नकसीर को बंद कर देता है।
18. प्रसव होने के बाद महिलाओं में कमजोरी आ जाती है। इस कमजोरी को दूर करने के लिए महिलाओं को सिंघाड़े का हलवा खाना चाहिए यह शरीर में होने वाली कमजोरी को दूर करता है।
19. कैल्शियम की सही मात्रा की वजह से सिंघाड़ा हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाता है।
20. सिंघाड़े के इस्तेमाल से पुरूषों के वीर्य में बढ़ोत्तरी होती है। साथ यह काम की क्षमता को भी बढ़ता है। इसका प्रयोग आप सिंघाड़े के हलवे के रूप में भी कर सकते हैं।अथवा दूध में दो चम्मच सिंघाड़े का आटा मिलाकर भी प्रयोग कर सकते हैं।
21. नीबू के रस में सूखे सिंघाड़े को घिसकर दाद पर प्रतिदिन लगाया जाए तो दाद में आराम मिलता है हलांकि ऐसा करने से दाद वाली जगह पर पहले जलन होती है और फिर ठंडक महसूस होती है।
22. सिंघाड़े के आटे में बबूल गोंद, देशी घी और मिश्री मिलाकर लगभग 30 ग्राम प्रतिदिन दूध के साथ लेने से वीर्य की दुर्बलता दूर होती है।
23. शक्कर और पिसा हुआ सूखा सिंघाड़ा की समान मात्रा (50-50 ग्राम) लेकर मिला लें। इस चूर्ण को चुटकी भर मात्रा में पानी के साथ सुबह शाम देने से बच्चे बिस्तर में पेशाब करना बंद कर देते है।
24. गले में टांसिल्स होने पर सिंघाड़े को पानी में उबालकर इस पानी से प्रतिदिन कुल्ला किया जाए तो टांसिल्स की सूजन दूर होती है।
25. कच्चे सिंघाड़े को कुचलकर शक्कर और नारियल के साथ चबाने से शरीर को जबरदस्त ऊर्जा मिलती है, माना जाता है कि यह नुस्खा शारीरिक स्फूर्ति प्राप्त करने के लिए अचूक है।
26. पीलिया के मरीज इसे कच्चा या जूस बनाकर ले सकते हैं। यह शरीर से जहरीले पदार्थों को बाहर निकालने में काफी मददगार होता है।
27. मैग्नीज और आयोडीन की पर्याप्त मात्रा होने के कारण यह थायरॉइड ग्रंथि की कार्यशैली को सुचारू रखने में भी मदद करता है।
28. सिंघाड़ा सूजन और दर्द में मरहम का काम करता है। शरीर के किसी भी अंग में सूजन होने पर सिंघाड़े के छिलके को पीस कर लगाने से आराम मिलता है।
29. एड़ियां फटने की समस्या शरीर में मैग्नीज की कमी के कारण होती है। सिंघाड़ा ऐसा फल है, जिसमें पोषक तत्वों से मैग्नीज ग्रहण करने की क्षमता होती है।
30. इसके नियमित सेवन से शरीर मोटा और शक्तिशाली बनता है।
31. बुखार व घबराहट में फायदेमंद रोज 10-20 ग्राम सिंघाड़े के रस का सेवन करने से आराम मिलता है।
32. पेशाब में जलन, रुक-रुक कर पेशाब आना जैसी बीमारियों में सिंघाड़े का सेवन लाभदायक है।
33. जिन लोगों की नाक से खून आता है, उन्हें बरसात के मौसम के बाद कच्चे सिंघाड़े खाना फायदेमंद है।

FAQs

क्या सिंघाड़ा हमारे लिए अच्छा है?

सिंघाड़ा न केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि कई स्वास्थ्य लाभ भी देता है। सिंघाड़ा या वाटर चेस्टनट पोषक तत्वों से भरपूर होता है। यह दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिणी चीन, ताइवान, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और भारतीय और प्रशांत महासागरों के कई द्वीपों में पाया जाता है। 

कच्चे सिंघाड़े की 3.5 औंस (100 ग्राम) खुराक निम्नलिखित पोषक तत्व प्रदान करती है:
 – कैलोरी: 97
 – वसा: 0.1 ग्राम
 – कार्ब्स: 23.9 ग्राम
 – फाइबर: 3 ग्राम
 – प्रोटीन: 2 ग्राम
 – पोटेशियम: अनुशंसित दैनिक सेवन का 17% (आरडीआई)
 – मैंगनीज: आरडीआई का 17%
 – कॉपर: आरडीआई का 16%
 – विटामिन बी6: आरडीआई का 16%
 – राइबोफ्लेविन: आरडीआई का 12%

सिंघाड़े में आमतौर पर कैलोरी कम होती है क्योंकि उनमें 74% पानी होता है। उनकी उच्च फाइबर सामग्री उन्हें आंत्र नियमितता को बढ़ावा देने, रक्त शर्करा के स्तर को नियमित करने और आंत के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए एक बढ़िया विकल्प है।

सिंघाड़े में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो आपके शरीर को फ्री रेडिकल्स नामक हानिकारक अणुओं से बचाने में मदद करते हैं। इन एंटीऑक्सीडेंट में फेरुलिक एसिड, गैलोकैटेचिन गैलेट, एपिकैटेचिन गैलेट और कैटेचिन गैलेट शामिल हैं। शोध से पता चलता है कि ये यौगिक फ्री रेडिकल्स को बेअसर कर सकते हैं और हृदय रोग, टाइप 2 मधुमेह और कुछ कैंसर जैसी पुरानी बीमारियों के खतरे को कम कर सकते हैं।

सिंघाड़े का आनंद कच्चा या पका कर लिया जा सकता है। वे एशियाई व्यंजनों जैसे स्टिर-फ्राई, चॉप सूई, करी और सलाद में एक स्वादिष्ट कुरकुरापन लाते हैं।

सिंघाड़े के दुष्प्रभाव क्या हैं?

सिंघाड़े के दुष्प्रभाव: 
– मतली और पेट दर्द: अधिक मात्रा में सिंघाड़े का सेवन करने से मतली, पेट दर्द या उल्टी हो सकती है। 
– कफ उत्पादन: सर्दी से पीड़ित व्यक्तियों में, सिंघाड़ा कफ उत्पादन को ट्रिगर कर सकता है। 
– अपच: हालांकि दुर्लभ, कुछ लोगों को सिंघाड़ा खाने के बाद अपच का अनुभव हो सकता है। 
– एलर्जी प्रतिक्रियाएं: संवेदनशील व्यक्तियों में सिंघाड़े से एलर्जी प्रतिक्रियाएं विकसित हो सकती हैं।

सावधानियां: – गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को सिंघाड़े का उपयोग करने से पहले अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श लेना चाहिए।

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